हरिद्वार, चंडी माता धाम के पैदल सफर पर रास्ते में तीन हनुमान जी के दर्शन हो जाते हैं। सुबह नौ बजे ही हनुमान जी की वेशभूषा और मेकअप कर अरुण नाथ, राजू नाथ व विजय नाथ रास्ते में तैनात होकर श्रद्धालुओं को दुवा देकर कुछ दान दक्षिणा देने की गुजारिश करते हैं।
बातचीत में वे बताते हैं कि वे नाथ संपेरे हैं, सरकार द्वारा सांपों को पकड़ने पर प्रतिबंध लगाने के बाद अब वे अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए हनुमान जी के वेष का सहारा ले कर अपनी जीविका चला रहे हैं।
उनका कहना है कि इस समय हरिद्वार में सैकड़ों लोग इस काम से जुड़े हैं, इनके क्षेत्र बंटे हैं इसलिए कोई एक दूसरे के इलाके में नहीं घुसते।
कभी कभी इन पर श्रद्धालुओं को अनाश्यक परेशान करने के आरोप भी लगते हैं। इस पर वरुण कहते हैं वे बाल बच्चेदार आदमी हैं, भला ऐसा क्यों करेंगे?
विजय बताते हैं कि एक बार एक यात्री का सामान खो गया, वह बुरी तरह रोने लगा, उसने कहा मुझे हजार रुपए चाहिए ताकि अपने घर पहुंच सकूं। हम पांच हनुमान भक्तों ने दो दो सौ रुपये इकठ्ठे कर उसे दिये जिसके बाद वह हमको दुआएं देते हुए अपने घर लौट गया।
वरुण नाथ का कहना कि कभी कभी बाहर से आने वाले कुछ लोग इस वेष में गलत हरकतें कर सकते हैं, इसलिए वे भविष्य में हनुमान भक्तों का संगठन बनाकर प्रशासन से परिचय पत्र देने की मांग करेंगे ताकि हमारे प्रति आम श्रद्धालुओं के दिलों में कोई संदेह ही ना रहे।