झुग्गी- झोंपडिय़ों में रहने वाले और प्रवासी मजदूरों के बच्चों की पढ़ाई को लेकर शिक्षक खासे चिंतित है। नया सत्र शुरू होने के बाद भी इन बच्चों की अभी तक एक भी कक्षा नहीं लग पाई है। कारण इनके पास स्मार्ट फोन का न होना है।
शिमला।
झुग्गी- झोंपडिय़ों में रहने वाले और प्रवासी मजदूरों के बच्चों की पढ़ाई को लेकर शिक्षक खासे चिंतित है। नया सत्र शुरू होने के बाद भी इन बच्चों की अभी तक एक भी कक्षा नहीं लग पाई है। कारण इनके पास स्मार्ट फोन का न होना है। शिक्षकों ने इनके स्वजनों से संपर्क किया तो कईयों के पास तो साधारण फोन भी नहीं है। ऐसे में शिक्षक इनकी पढ़ाई को लेकर खासे ङ्क्षचतित है। खासकर वे बच्चे, जो दसवीं और 12वीं बोर्ड में हैं।
कई बच्चे ऐसे भी हैं, जो प्रवासी मजदूरों के हैं और उन्होंने दाखिला नहीं लिया है। समग्र शिक्षा अभियान ऐसे छात्रों के लिए विशेष कक्षाओं का आयोजन भी करता है, लेकिन कोरोना के कारण इसका आयोजन अभी संभव नहीं है। शनिवार से शुरू हुई ई पीटीएम की बैठक में शिक्षकों ने यह मामला शिक्षा मंत्री गोङ्क्षवद ङ्क्षसह ठाकुर के समक्ष उठाया। शिक्षकों ने तर्क दिया कि बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है।
शिक्षक इन छात्रों को घर तक नोट्स पहुंचाने के लिए तैयार है, लेकिन कोरोना कफ्र्यू के कारण यातायात बंद होने से शिक्षक बच्चों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। कुछ स्थानों पर नोट््स पहुंचा भी दिए गए हैं लेकिन इनसे संवाद नहीं हो पा रहा है कि पढ़ाई में उन्हें क्या दिक्कत पेश आ रही है।
शिक्षकों ने शिक्षा मंत्री को ई पीटीएम के माध्यम से सुझाव दिया है कि जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती तब तक इन शिक्षकों को पढ़ाने के लिए उसी झुग्गी झोंपड़ी या आसपास के स्थान से किसी स्थानीय पढ़े-लिखे युवा बेरोजगार को नियुक्त किया जाए। जब तक स्कूल नहीं खुल जाते तब तक वह उन्हें पढ़ा सके। हर घर पाठशाला कार्यक्रम के माध्यम से जो वाटसएप के माध्यम से पाठ्य सामग्री शिक्षक भेजता है वह उन तक पहुंच सके।
शिक्षा मंत्री गोङ्क्षवद ङ्क्षसह ठाकुर नौ जून को ई पीटीएम के समापन अवसर पर इसके लिए घोषणा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस मसले पर विभागीय अधिकारियों से विचार विर्मश के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा।