हरिद्वार। कुम्भ मेला 2021 ज्योतिष और द्वारका-शारदा पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का नीलधारा चंडी टापू स्थित कुंभ छावनी में भव्य प्रवेश हुआ। सन्यासियों के अग्नि अखाड़े और ब्राह्मण सभा के श्रीपरशुराम अखाड़े की ओर से भव्य मंगल यात्रा निकाली गई। श्रद्धालुओं ने विभिन्न स्थानों पर पुष्प वर्षा कर यात्रा का स्वागत किया। भारत माता, कारगिल युद्ध और श्रीराम मंदिर की झांकी यात्रा का विशेष आकर्षण रहीं।
मंगल यात्रा में सबसे आगे चारों पीठ के शंकराचार्य की तस्वीर लिए संतगण चल रहे थे। नागा संन्यासी अपने युद्धकला कौशल से सभी का ध्यान अपनी ओर खींच रहे थे, तो देशभक्तिपूर्ण गीत वातावरण में ऊर्जा का संचार कर रहे थे। कैप्सूल बस में सवार शंकराचार्य के दर्शनों को श्रद्धालु ओर आमजन खासे आतुर दिखाई दे रहे थे। बस के भीतर से ही शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद भक्तों को आशीर्वाद दे रहे थे। रथों पर सवार संतगण और उत्तराखंड के जौनसार-बावर के पारंपरिक वाद्ययंत्र बजाते लोक कलाकार वातावरण में रस घोल रहे थे। यमुनोत्री और गंगोत्री से लाई गई पवित्र छड़ के दर्शन कर भी श्रद्धालु अभिभूत दिखे।
मंगल यात्रा श्रीपरशुराम चौक से शुरू हुई और शहर भ्रमण करते हुए शंकराचार्य के कुंभ क्षेत्र में बने शिविर में पहुंची। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि शंकराचार्य 28 अप्रैल तक शिविर में ही रहेंगे। बताया कि स्वामी स्वरूपानंद स्वतंत्रता सेनानी भी रहे हैं। 97 साल की उम्र में भी उन्होंने तीर्थ में स्नान का क्रम नहीं छोड़ा। जब एक वृद्ध संत गंगा स्नान कर सकता है तो फिर हम क्यों नहीं। इसलिए श्रद्धालुओं को कुंभ स्नान में बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए। मंगल यात्रा के दौरान कोविड गाइडलाइन का भी पालन किया गया।