केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने केंद्रीय अर्ध सैन्य बलों के जवानों को कम से कम सौ दिन का अवकाश देने का प्रस्ताव किया था ताकि जवान अपने परिवार के साथ अधिक से अधिक समय बिता सकें। गृह मंत्री के इस प्रस्ताव पर मंत्रालय ने सीएपीएफ से प्रगति रिपोर्ट मांगी है।
नई दिल्ली,
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने केंद्रीय अर्ध सैन्य बलों के जवानों को कम से कम सौ दिन का अवकाश देने का प्रस्ताव किया था ताकि जवान अपने परिवार के साथ अधिक से अधिक समय बिता सकें। गृह मंत्री के इस प्रस्ताव पर मंत्रालय ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) से प्रगति रिपोर्ट मांगी है। मंत्रालय ने पूछा है कि उस प्रस्ताव के कार्यान्वयन की दिशा में साफ्टवेयर तैयार करने को लेकर क्या प्रगति हुई।
अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि अक्टूबर 2019 में शाह ने इस तरह का प्रस्ताव रखा था ताकि दूरदराज, पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में तैनात जवानों को अधिक से अधिक आराम मिल सके। कहा गया कि अगर इस प्रस्ताव को लागू किया गया तो जवानों में प्रसन्नता का संचार होगा, उनका तनाव दूर होगा और उनमें आत्महत्या जैसी घटनाओं को भी रोका जा सकेगा। बता दें कि अभी जवानों को 75 दिन का अवकाश मिलता है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस प्रस्ताव को पूरी तरह लागू किया जाना बाकी है। गृह मंत्रालय ने हाल ही में केंद्रीय सशस्त्र बलों से जवानों की तैनाती और उनके स्थानांतरण को लेकर इस संबंध में साफ्टवेयर तैयार करने की प्रगति रिपोर्ट मांगी है। इस साफ्टवेयर के माध्यम से निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से उनकी रोटेशन के आधार पर पोस्टिंग की जा सकेगी। बता दें कि केंद्रीय अर्ध सैन्य बलों अथवा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में दस लाख से अधिक जवान हैं जो असम राइफल्स के अलावा सीआरपीएफ, बीएसएफ, आइटीबीपी, सीआइएसएफ तथा एसएसबी में तैनात हैं।
अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ), भारत-तिब्बत सीमा बल (आइटीबीपी) तथा सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने इस संबंध में अपने-अपने साफ्टवेयर तैयार कर लिए हैं जबकि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) तथा असम राइफल्स में साफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। गृह मंत्री के महत्वाकांक्षी प्रस्ताव की प्रगति की समीक्षा के लिए जल्द ही मंत्रालय में एक बैठक आयोजित की जाएगी और संबंधित साफ्टवेयर के काम करने के बाद अगला कदम उठाया जाएगा। इस तरह का भी विचार है कि तैनाती वाले स्थानों में ऐसी सुविधा विकसित की जाए ताकि जवान के परिवार वाले वहां कुछ दिन गुजार सकें। इससे भी जवानों में तनाव घटाने में मदद मिलेगी।