देहरादून : करीब 59 हजार करोड़ रुपये के बजट को लेकर चुनावी वर्ष में मैदान में उतर रही सरकार के लिए महंगाई के मोर्चे पर सटीक योजना को सामने रखने की चुनौती होगी। प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल की ओर से इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाने से यह चुनौती और बढ़ गई है।
अर्थ एवं संख्या निदेशालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में महंगाई का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। 2012 से तुलना करने पर वर्ष 2018 में यह 138 प्रतिशत पाया गया था। कोविड काल में इसमें और तेजी से इजाफा हुआ। पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमत बढ़ने से महंगाई का और बढ़ना भी तय है।
राष्ट्रीय औसत से अधिक है प्रदेश में महंगाई
आर्थिक सर्वे के मुताबिक प्रदेश में महंगाई की मार राष्ट्रीय स्तर की महंगाई से अधिक है। प्रदेश में महंगाई दर 2019 में 7.82 प्रतिशत आंकी गई है। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह दर 7.35 प्रतिशत रही। रिपोर्ट के अनुसार सरकार के नॉन प्लान में लगातार खर्च बढ़ता गया। इसने वस्तुओं की मांग बढ़ाई। समय-समय पर वेतन आयोगों की संस्तुतियों के आधार पर कर्मचारियों के वेतन बढ़े और इस वजह से प्रदेश में महंगाई की दर बढ़ी। दूसरी वजह पेट्रोल व डीजल के दाम में बढ़ोतरी होने के कारण रोजमर्रा की चीजों में परिवहन लागत अधिक होने के कारण इजाफा हुआ है।
प्रदेश सरकार के सामने तेल की कीमतों पर टैक्स कम करने का विकल्प
विशेषज्ञों के मुताबिक महंगाई के मोर्चे पर प्रदेश सरकार के सामने विकल्प बहुत सीमित हैं। तेल के दाम स्थिर रखने के लिए सरकार प्रदेश स्तर पर पेट्रोल-डीजल पर लिए जाने वाले टैक्स को कम कर सकती है। कोविड काल में सरकार का राजस्व प्रभावित हुआ है और ऐसा कोई भी कदम सरकार के राजस्व को प्रभावित कर सकता है। अर्थशास्त्री आदित्य गौतम के मुताबिक सरकार को मध्यम वर्ग के लिए नई योजना लेकर आनी चाहिए। राज्य स्तर पर ग्रीन बोनस की मांग कर रही सरकार ईंधन के मामले में रसोई गैस पर सब्सिडी भी दे सकती है। इसी तरह परिवहन के किराए आदि को कम करने, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के विस्तार की भी बात सरकार बजट में कर सकती है।
मनरेगा और डीए भी है प्रदेश सरकार के पास विकल्प
मनरेगा के तहत न्यूनतम मजदूरी में सरकार ने कुछ हद तक इजाफा किया है। मनरेगा से प्रदेश में दस लाख लोग सीधे तौर पर जुड़े हैं। मनरेगा में कोई भी इजाफा महंगाई के खिलाफ लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाने का सबब बन सकता है। इसी तरह कोविड के कारण फ्रीज किए गए डीए को जारी कर सरकार कर्मचारियों के एक बड़े वर्ग को फायदा पहुंचा सकती है।
स्थानीय उपयोग का बढ़ाया
कम्युनिटी फॉर सोसायटी डेवलपमेंट के संस्थापक निदेशक अनूप नौटियाल के मुताबिक सरकार बजट में लोकल फॉर वोकल की नीति के तहत खाद्य पदार्थों में हो रहे नुकसान को कम करती है और स्थानीय उपज बाजार में उपलब्ध कराने की व्यवस्था करती है तो यह भी फायदा देगा।