यूपी पुलिस (UP Police) आंकड़ों के अनुसार मुख्तार के परिवारीजन व करीबियों के अब तक 94 शस्त्र लाइसेंस निरस्त कराए गए हैं.
लखनऊ.
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Government) लगातार प्रदेश के माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. इसी कड़ी में यूपी सरकार ने मुख्तार अंसारी (Mafia Mukhtar Ansari) व उसके सहयोगियों के कब्जे से अब तक 192 करोड़ रुपये से अधिक की सरकारी जमीन मुक्त कराने के साथ ही अवैध निर्माण जमींदोज किया जा चुका हैं. इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐलान किया था कि मुख्तार के काले-साम्राज्य के अंत का समय आ गया है. योगी आदित्यनाथ ऑफिस के आधिकारिक टि्वटर हैंडल से ये जानकारी दी गई थी. बता दें कि माफिया मुख्तार अंसारी वर्तमान समय मे रूपनगर मोहाली (पंजाब) जेल में बंद है.
यूपी पुलिस ने गैंगेस्टर एक्ट के तहत माफिया मुख्तार अंसारी और उसके गुर्गों की अवैध संपत्तियों को जब्त करने का सिलसिला जारी रखा है. इसी कड़ी में अवैध बूचड़खाना पर शिकंजा कसकर इस गिरोह की सालाना करीब 2.5 करोड़ रुपये की कमाई बंद कराई गई. मऊ, वाराणसी, भदोही, जौनपुर व चंदौली में मुख्तार के संरक्षण में पनप रहे अवैध मछली कारोबार की कमर तोड़ी गई. मछली के इस कारोबार से गिरोह को सालाना करीब 33 करोड़ रुपये की आमदनी होती थी.
यूपी पुलिस आंकड़ों के अनुसार मुख्तार के परिवारीजन व करीबियों के अब तक 94 शस्त्र लाइसेंस निरस्त कराए गए हैं. इनमें गाजीपुर से बने 84 व आजमगढ़ से बने 10 शस्त्र लाइसेंस शामिल हैं. 71 शस्त्रों को जमा भी कराया गया है, जबकि गलत नाम-पतों पर बने चार शस्त्र लाइसेंस निरस्त कराकर तीन आरोपितों को गिरफ्तार भी किया गया. मुख्तार गिरोह के कई शूटरों व उससे जुड़े ठेकेदारों के विरुद्ध भी कानूनी कार्रवाई के कदम लगातार बढ़ रहे हैं.
मुख्तार अंसारी का ‘किला’ है ये एंबुलेंस- पूर्व डीजीपी
इस बीच उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी बृजलाल ने मुख्तार अंसारी की लक्जरी बुलेटप्रूफ एम्बुलेंस को लेकर बड़ा खुलासा किया है. बृजलाल ने कहा है कि ये मामूली एम्बुलेंस नहीं बल्कि मुख़्तार का चलता फिरता क़िला है. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एंबुलेंस नहीं बल्कि चलता-फिरता मुख्तार का वो साम्राज्य है, जिसके जरिए मुख़्तार अपने कारनामे अंजाम देता रहा है. इस गाड़ी में सेटेलाइट फोन के अलावा हथियार, असलहे और गुर्गे भी रहते हैं. मुख्तार इनका इस्तेमाल करता है. इस एम्बुलेंस का ड्राइवर मुख़्तार का बेहद करीबी है, जो मुहमदाबाद का रहने वाला है, उसका नाम सलीम है. उत्तर प्रदेश में भी जेल के बाहर इसकी यही एम्बुलेंस खड़ी रहती थी. जिसके साथ आगे पीछे गाड़ी से गुर्गे भी चलते थे.