देहरादून। 

राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वह तीन साल 12 दिन इस पद पर कार्यरत रहीं। तीन दिन पहले नई दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से उनकी मुलाकात के बाद से यह अंदेशा जताया जा रहा था। इस इस्तीफे के साथ ही राज्य का आठवें राज्यपाल को लेकर इंतजार बढ़ गया है।

बेबी रानी मौर्य ने 26 अगस्त, 2018 में उत्तराखंड के सातवें राज्यपाल के तौर पर पदभार संभाला था। वह राज्य की दूसरी महिला गवर्नर थीं। उनसे पहले मार्ग्रेट अल्वा भी यह पद संभाल चुकी हैं। उत्तरप्रदेश में आगरा की मेयर रह चुकीं बेबी रानी मौर्य के बारे में माना जा रहा है कि केंद्र सरकार और भाजपा उन्हें अलहदा जिम्मेदारी से नवाज सकते हैं।

नई भूमिका में उतारने की चर्चा

उत्तरप्रदेश में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं। कयास ये भी हैं कि उत्तरप्रदेश की सियासत में वह सक्रिय भूमिका निभा सकती हैं। भाजपा चुनाव के मद्देनजर उन्हें नई जिम्मेदारी सौंप सकती है। केंद्र सरकार के स्तर से भी उन्हें राज्यपाल से इतर संवैधानिक पद सौंपा जा सकता है। गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद इसतरह की चर्चाओं को बल मिला है।

राज्य सरकार के साथ बना रहा खिंचाव

इन सबके बीच राज्यपाल के पद से उनकी विदाई के पीछे राज्य की भाजपा सरकार और राजभवन के बीच खिंचाव को भी अहम वजह माना जा रहा है। दोनों के बीच समन्वय की कमी की शिकायतें केंद्र सरकार और पार्टी हाईकमान तक भी पहुंचीं। विधानसभा से पारित विधेयकों के राजभवन में लंबे समय तक रुके रहने से भाजपा सरकार को कई मौकों पर असहज होना पड़ा। पारित कुछ विधेयकों को लंबे समय बाद भी राजभवन की मंजूरी नहीं मिल पाई है। इसके लिए सरकार की ओर से प्रयासों को कामयाबी नहीं मिल पाई।