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NPCI के रहते NUE बनाने की क्यों पड़ी जरूरत, रिटेल पेमेंट में प्राइवेट कंपनियों की होगी एंट्री

नई दिल्ली

न्यू अंब्रेला एंटिटी (NUE) की स्थापना के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने गूगल और फेसबुक के साथ साझेदारी की है। इससे कंपनी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) जैसा एक पेमेंट नेटवर्क बना सकेगी और भारत के डिजिटल पेमेंट मार्केट में हिस्सा प्राप्त कर सकेगी। NUE का सीधा मुकाबला नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) से होगा। यह एनयूई संयुक्त रूप से रिलायंस और इंफिबीम एवेन्यूज लिमिटेड की सहायक कंपनी सो हम भारत द्वारा प्रमोट किया जाएगा। इसमें फेसबुक और गूगल की हिस्सेदारी कम होगी। अब यहां बड़ा सवाल सामने आता है कि आखिर NPCI के होते हुए भी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को एक नए NUE की जरूरत क्यों पड़ रही है। आइए इस न्यू अंब्रेला एंटिटी के बारे में विस्तार से जानते हैं…

न्यू अंब्रेला एंटिटी के आवेदन की तारीख बढ़ी
भारतीय रिजर्व बैंक ने न्यू अंब्रेला एंटिटी यानी NUE के लिए एप्लिकेशन भरने की अंतिम तारीख को बढ़ाकर 31 मार्च 2021 तक कर दिया है, जबकि इससे पहले एप्लिकेशन भरने की अंतिम तारीख 26 फरवरी 2021 थी। इस संदर्भ में आरबीआई ने कहा कि कोविड-19 से संबंधित व्यवधानों और असुविधाओं को ध्यान में रखते हुए अवधि को बढ़ाने के लिए भारतीय बैंक संघ सहित विभिन्न हितधारकों से अनुरोध प्राप्त हुए हैं। इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि आवेदन करने की अवधि को 31 मार्च 2021 तक बढ़ाया जाए।

न्यू अंब्रेला एंटिटी से आरबीआई क्या चाहता है?
न्यू अंब्रेला एंटिटी से रिजर्व बैंक की चाहत सीधी है। न्यू अंब्रेला एंटिटी के जरिए RBI चाहता है कि कैश लेनदेने खत्म हो और डिजिटल पेमेंट सिस्टम में नए प्लेयर्स (कंपनियां) शामिल हों। डिजिटल पेमेंट पूरी तरह से पारदर्शी और जब इसके जरिए सभी तरह के पेमेंट होंगे तो टैक्स चोरी पर भी नजर रखी जा सकेगी। न्यू अंब्रेला एंटिटी को लेकर सरकार का सीधा मकसद पूरे देश को कैशलेस बनाना है।

अभी क्या है स्थिति?
वर्तमान स्थिति की बात करें तो देश में जितने भी ऑनलाइन पेमेंट हो रहे हैं वो सब NPCI के जरिए हो रहे हैं। यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस यानी UPI को एनपीसीआई ही कंट्रोल करता है। इस वक्त देश में कई प्लेटफॉर्म के जरिए डिजिटल पेमेंट हो रहे हैं और सभी में यूपीआई का सपोर्ट है। अब सरकार और आरबीआई यह सोच रही है कि आने वाले समय में डिजिटल पेंमेंट की बढ़ती संख्या को अकेले NPCI कंट्रोल नहीं कर पाएगा। इसलिए न्यू अंब्रेला एंटिटी की स्थापना की बात चल रही है। NUE का मुकाबला NPCI से होगा। अभी जैसे NPCI, UPI, IMPS और अन्य पेमेंट को कंट्रोल कर रहा है, वैसे ही न्यू अंब्रेला एंटिटी भी अपना कोई पेमेंट सिस्टम तैायार करेगा।

NUE के होंगे छह भाग
न्यू अंब्रेला एंटिटी को लेकर आरबीआई की गाइडलाइन एकदम साफ है। न्यू अंब्रेला एंटिटी को छह भागों में बांटा गया है। पहले भाग में रिटेल स्टोर, एटीएम, पीओएस और आधार आधारित पेमेंट को मैनेज करना होगा। पहले हिस्से में पेमेंट के दौरान आने वाली दिक्कतों को भी रखा गया है।

दूसरे हिस्से में पेमेंट से संबंधित सभी तरह के सेटलमेंट होंगे जिनमें बैंक और नॉन बैंक दोनों शामिल होंगे। दूसरे हिस्से में ही किसी तरह के फ्रॉड आदि को मैनेज करना का काम किया जाएगा।

तीसरे हिस्से में निष्पक्षता, इक्विटी और प्रतिस्पर्धात्मक को लेकर काम होंगे। इसी हिस्से में आवश्यक नियमों आदि को तैयार और लागू किया जाएगा। इस हिस्से में इस पर भी काम होगा कि पेमेंट सिस्टम सुरक्षित और पेमेंट के लायक है या नहीं।
चौथे हिस्से में बिजनेस संबंधित पेमेंट को लेकर काम होगा। सीधे शब्दों में कहें तो रिटेल पेमेंट को इसी हिस्से में रखा गया है। इसमें ग्राहकों की सुरक्षा का भी ख्याल रखा जाएगा।

पांचवें हिस्से में एनपीसीआई द्वारा संचालित पेमेंट सिस्टम को लेकर बातचीत होगी और किसी तरह की दिक्कत आने पर राय-सलाह ली जाएगी।

छठे हिस्से में बैंक खाते से संबंधित काम होंगे। किसी बैंक अकाउंट को चालू रखना है या बंद करना है, इसका फैसला करना इसी हिस्से काम रहेगा।

न्यू अंब्रेला एंटिटी की रेस में हैं ये कंसोर्टियम ऑफ कंपनीज
रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंफिबीम एवेन्यूज, गूगल और फेसबुक
टाटा समूह, एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, मास्टकार्ड, भारती, पे यू
अमेजन, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, पाइन लैब्स, बिलडेस्क और वीजा कार्ड
पेटीएम, इंडसइंड बैंक, ओला फाइनेंशियल, सेंट्रम फाइनेंस, जेटापे और ईपीएस

 

 

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